सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

About Us

  About Us


  Hello dosto,

Mera naam Puja Kumari hai or ye Blogbednotes mera blog hai jispe aapko hindi mein B.Ed se related notes ki jankari dungi.

   Mein kosis karungi ki B.Ed se related sabhi bato ko bta saku.

About Us:-

Name - Puja Kumari

City  - Dhanbad

State - Jharkhand

Pin - 828302

Contact :- pujaakumari.pk1996@gmail. com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Variables ofteaching process( शिक्षण प्रक्रिया के चर)

Variables of teaching process( शिक्षण प्रक्रिया के चर) जब कोई भी कारक शिक्षा के क्षेत्र के शैक्षिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है तो इसे चर कहते है। कार्टर वी. के शब्दकोष के अनुसार - " विभिन्न व्यक्तिगत केसो का अधिक संख्या में मूल्य ग्रहण करने को भी चर कहते है। कोई भी कार्य ,व्यवहार, कारक, अनुक्रिया या प्रक्रिया जो परिवर्तनशील है, वह चर कहलाती है। चर के प्रकार :-  1  स्वतंत्र चर 2  आश्रित चर 3  हस्तक्षेप चर   1 स्वतंत्र चर:- शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक , स्वतंत्र चर के रूप में कार्य करता है। वह छात्रों को अधिगम अनुभव प्रदान करने के लिये वीभिन्न प्रकार के कार्य करता है। इस प्रकार  शिक्षक एक स्वतंत्र  चर के रूप मे कार्य करता है। 2 आश्रित चर:- शिक्षण प्रक्रिया मे छात्र को आश्रीत चर की  संज्ञा दी गयी है क्योंकि शिक्षण प्रक्रिया में नियोजन, व्यवस्था व प्रस्तुतीकरण के अनुसार ही उसे सक्रिय रूप से कार्य करना पड़ता है। 3  हस्तक्षेप चर:- शिक्षण प्रक्रिया में पाठय् वस्तु , शिक्षण विधियां , शिक्षण युक्तियाँ तथा शिक्षण व्यूह रचनाये आदि हस्तक्षेप करते है।...

Maturation(परिपक्वता)

Maturation(परिपक्वता) परिपक्वता शरीर की आंतरिक व्यवस्था के कारण उत्पन्न स्नायुओ और मांसपेशियों की प्रौढ़ता और दृढ़ता है जिस पर बाह्य वातावरण का प्रभाव नही पड़ता है।     बाल विकास के क्षेत्र मे सर्व प्रथम जेसेल 1940 मे परिपक्वता शब्द का प्रयोग किया। गिसेल का यह विचार था की विकास की निश्चित अवस्थाओ मे कुछ निश्चित स्नायुविक और मांसपेशीय परिवर्तन होते रहते है।            उसके बाद जीन पियाजे ने परिपक्वता को आधुनिक मे बताया। 1 परिपक्वता एक नर्संगिक क्रिया है। 2 बाह्य उद्दीपको की आवश्यकता नही है 3 यह मानव की अन्तः शक्तियों का विकास है। बिग्गी एवं हंट के अनुसार-    "परिपक्वन एक विकासात्मक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति समय के साथ साथ उन सभी विशेषताओं और गुणों को ग्रहण करता है जिनकी नीव उसके गर्भ मे आने के समय ही उसकी कोशिकाओं मे रखी जा चुकी है। " सेन्फोर्ड के अनुसार- "परिपक्वता का तातपर्य उस विकास से है जो व्यवहार के परिवर्तनों के रूप में वंश परम्परा के कारण होता है"। परिपक्वता के चरण-  1 शैशवावस्था 2 बाल्यावस्था 3 किशोरावस्था 4 प...

Attention (अवधान)

Attention (अवधान) चेतना व्यक्ति का स्वाभाविक गुण है, चेतना के किसी वस्तु पर केन्द्रित होने को अवधान कहते है।     किसी वस्तु पर चेतना के केंद्रित करने की मानसिक प्रक्रिया कोअवधान कहते है। चेतना के कारण ही उसे विभिन्न वस्तुओं का ज्ञान होता है। डम्बिल के अनुसार- "किसी दूसरी वस्तु की अपेक्षा किसी एक वस्तु   पर  चेतना का   केेंद्रकरण अवधान है।" रॉस के अनुसार- " अवधान विचार की वस्तु को  मस्तिषक  के  सामने स्पष्ट रूप से लेन की प्रक्रिया है। रामनाथ शर्मा केअनुसार- " ध्यान एक  ऐसी   प्रक्रिया है जो व्यक्ति को  उसके वातावरण मे  विद्यमान उद्दीपको मे से अपनी रुचि   एवं अभिवृत्ति के अनुसार कोई  भी  विशिष्ट  उद्दीपक चुुुनने के लिये विवश करता है"। अवधान की विशेषता-  मानसिक प्रतिक्रिया- मस्तिस्क के अंतर्गतआने वाली सारी प्रतिक्रिया अवधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। चयनात्म स्वरूप- अवधान की एक मुख्य विशेषता यह है की अवधान एक मानसिक प्रक्रिया है। वातावरण मे उपस्थित सभी वस्तुओं की और व्यक्ति का ध्यान न...