Thinking(चिंतन) चिंतन एक मानसिक क्रिया है। यह अभिक्षमता समस्या समाधान की तरह है जो मनुष्यों को दूसरे जीवो से भिन्न बनाता है। रॉस के अनुसार -" चिंतन मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पक्ष या मनोवैज्ञानिक वस्तुओ से संबंधित मानसिक क्रिया है ।" गैरेट के अनुसार -" चिंतन एक प्रकार का अवक्त एवं अदृश्य व्यवहार होता है जिसमे सामान्य रूप से प्रतिको(बिंबो, विचारो , प्रत्ययों) का प्रयोग होता है।" मॉहसीन के अनुसार -" चिंतन समस्या समाधान संबंधी अवक्त व्यवहार है।" चिंतन की प्रकृति संज्ञानात्मक प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया समस्या समाधान व्यवहार मानसिक खोज प्रतिकात्क क्रियाएँ स्थानांतरण प्रव्रिति चिंतन के उपकरण- 1 छवि / बिम्ब/ प्रतिम - प्रतिमा किसी वस्तु या क्रिया का मानसिक चित्र है । व्यक्ति अपने व्यवहारिक जीवन मे जिन वस्तुओं का प्रत्यक्षीकरण करता है उसकी प्रतिमाएँ उसके दिमाग में बन जाती है । ये बिम्ब या प्रतिमाएँ वास्तविक अनुभूतियों वस्तुओं तथा क्रियाओं के प्रतिक होते है। 2 अवधारणाएँ या संकल्पना -...
Maturation(परिपक्वता) परिपक्वता शरीर की आंतरिक व्यवस्था के कारण उत्पन्न स्नायुओ और मांसपेशियों की प्रौढ़ता और दृढ़ता है जिस पर बाह्य वातावरण का प्रभाव नही पड़ता है। बाल विकास के क्षेत्र मे सर्व प्रथम जेसेल 1940 मे परिपक्वता शब्द का प्रयोग किया। गिसेल का यह विचार था की विकास की निश्चित अवस्थाओ मे कुछ निश्चित स्नायुविक और मांसपेशीय परिवर्तन होते रहते है। उसके बाद जीन पियाजे ने परिपक्वता को आधुनिक मे बताया। 1 परिपक्वता एक नर्संगिक क्रिया है। 2 बाह्य उद्दीपको की आवश्यकता नही है 3 यह मानव की अन्तः शक्तियों का विकास है। बिग्गी एवं हंट के अनुसार- "परिपक्वन एक विकासात्मक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति समय के साथ साथ उन सभी विशेषताओं और गुणों को ग्रहण करता है जिनकी नीव उसके गर्भ मे आने के समय ही उसकी कोशिकाओं मे रखी जा चुकी है। " सेन्फोर्ड के अनुसार- "परिपक्वता का तातपर्य उस विकास से है जो व्यवहार के परिवर्तनों के रूप में वंश परम्परा के कारण होता है"। परिपक्वता के चरण- 1 शैशवावस्था 2 बाल्यावस्था 3 किशोरावस्था 4 प...