Imagination(कल्पना)
जब हम अपने पुराने अनुभवों के आधार पर किसी नवीन ज्ञानकी रचना करते है। नवीन रचना मन की रचनात्मक क्रिया का फल है। यह रचनात्मक क्रिया कल्पना कही जाती है। पुराने अनुभव यदि हमारे मन में ज्यों के त्यों उपस्थित रहती है तो वह कल्पना नही होती, कल्पना पुराने अनुभवों की सहायता लेकर नई रचना करना है।
वुडवर्थ के अनुसार-"कल्पना एक मानसिक जोड़-तोड़ है।"
मेकडूगल के अनुसार-" दूूूरस्थ्य या परोक्ष वस्तुओं के सम्बन्ध मे चिंता करना ही कल्पना है।"
रायबर्न के अनुसार-" कल्पपना वह शक्ति है जिसमेे हम अपनी प्रतिमाओ को देखते है।"
कल्पना के प्रकार/ वर्गीकरण-
विलियम मेकडूगल के अनुसार कल्पना दो प्रकार की होती है
पुनरूत्पादक कल्पना और उत्पादक कल्पना, उत्पादक कल्पना दो प्रकार के होते है रचनात्मक कल्पना और सृजनात्मक कल्पना।
1 पुनरुत्पादक कल्पना- इस कल्पना मे स्मृति द्वारा गत अनुभव
को ज्यों का त्यों कल्पना मे लाने का प्रयत्न किया जाता है।
2 उत्पादक कल्पना-इस प्रकार की कल्पना मे गत अनुभवों और कल्पनाओं को एक नये क्रम मे या नविनता के साथ प्रस्तुुुत किया
जाता है।
I रचनात्मक कल्पना - रचनात्मक कल्पना भौतिक वस्तुओं से सम्बबंधित है । यह वह कल्पना है जिसका उपयोग भौतिक वस्तुओं की रचना मेे किया जाता है।
I I सृजनात्मक कल्पना - कल्पपना जिसका उपयोग अभौतिक वस्तुओं की रचना मे किया जाता है।
कल्पना का शैक्षिक महत्व-
- स्मरण शक्ति बढ़ाने मे सहायक है।
- नवीन अविष्कार हेतु उपयोगी है।
- कल्पना छात्रों की इच्छाओं की सन्तुष्टी मे सहायक है।
- कल्पना समायोजन मे सहायक ह।
- कल्पना केद्वारा सौंदर्यबोद्ध का विकास होता है।
इस प्रकार हम कह सकते है की कल्पना किसी भी छात्र के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है जिसकी सहायता से छात्र किसी भी क्रिया को करने की कल्पना कर सकता है तथा उसे अपने भौतिक जीवन मे उपयोग भी कर सकता है।
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