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शिक्षण और अधिगम ( Teaching and learning)

शिक्षण और अधिगम की अवधारणा
(Concept of teaching and learning)

 जब शिक्षण होगा, तब अधिगम अधिगम भी होगा। इस प्रकार हम कह सकते है की शिक्षण संप्रत्यय अधिगम के बिना कभी पूर्ण नही कहा जा सकता है। शिक्षण और अधिगम दोनों एक दूसरे से भिन्न है। 
 थॉमस ग्रीन ने अपनी पुस्तक 'शिक्षण की क्रियाएँ' में स्पष्ट किया है की शिक्षण के बिना अधिगम नहीं की जा सकती , लेकिन अधिगम के बिना शिक्षण संभव है।

क्रो व क्रो के अनुसार:- "    सीखना आदतो,ज्ञान,और अभिवृत्तियो का अर्जन है।"

स्किनर के अनुसार:- " सीखना, व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है।"

शिक्षण की प्रकृति:-
  • शिक्षण एक त्रिध्रुवीय प्रक्रिया है।
  • शिक्षण एक योजनाबद्ध प्रक्रिया है।
  • शिक्षण एक बहुआयामी प्रक्रिया है।
  • शिक्षण कला के साथ साथ विज्ञान भी है।
  • शिक्षण सम्प्रेषण है।
  • शिक्षण मार्गदर्शन है।
  • शिक्षण एक केंद्र निर्धारित प्रक्रिया है।

अधिगम की प्रकृति:-
  • अधिगम विकाश है।
  • अधिगम परिवर्तन है।
  • अधिगम अनुकूलन है।
  • अधिगम नया कार्य करना है।
  • अधिगम उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है।
  • अधिगम अनुभवों का संगठन है।
  • अधिगम जीवनभर चलता रहता है।
  • अधिगम वातावरण की उपज है।
  • अधिगम विवेकपूर्ण है।




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